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सरकारी कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सेवानिवृत्ति के बाद नहीं होगा एक्शन

जज साहब ने साफ-साफ कह दिया, “भाई, रिटायर्ड कर्मचारी (Retired Employees) पर सेवानिवृत्ति के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई का चक्कर चलाना बंद करो। यह उनके ‘रिटायरमेंट के बाद आराम से जीने के अधिकार’ का उल्लंघन है।”

सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐसा फैसला सुनाया है जिसे सुनकर रिटायर्ड कर्मचारी चाय की चुस्की लेते हुए कहेंगे, “वाह! अब जिंदगी और भी आसान हो गई।” यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है जो रिटायरमेंट के बाद भी विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्यवाहियों के बोझ से परेशान रहते थे।

हाई कोर्ट के फैसले को दिया सही ठहराव

इस केस की कहानी झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) से शुरू होती है, जहां एक रिटायर्ड कर्मचारी के खिलाफ दायर अनुशासनात्मक कार्रवाई को अदालत ने खारिज कर दिया था। हालांकि, इस फैसले को भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सरकारी कर्मचारियों को एक बड़ी राहत दी।

डिसिप्लिनरी केस का मसाला

इस पूरे केस में नवीन कुमार नामक बैंक कर्मचारी का नाम सुर्खियों में है। उन पर आरोप था कि उन्होंने “अपने रिश्तेदारों को लोन पास करवा दिया।” लेकिन गजब की बात यह है कि नवीन बाबू 2003 में रिटायर हो गए थे। फिर भी, बैंक ने 2011 में उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।

यह सुनने में वैसे ही अजीब लगता है जैसे “गोलगप्पे के पानी में समोसा डुबाना”। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Decision) ने इस मामले में एसबीआई (SBI) को सही से लताड़ लगाते हुए कहा, “भाई, रिटायरमेंट के बाद ऐसी कार्रवाई का क्या मतलब? नौकरी खत्म, कहानी खत्म।”

अनुशासनात्मक कार्रवाई का कनेक्शन

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) नोटिस देने से शुरू नहीं होती। यह तब शुरू होती है जब आरोपपत्र (Charge Sheet) जारी किया जाए। यानी, “नोटिस तो बस चाय पर बुलाने जैसा है, असली पार्टी तब शुरू होती है जब आरोपपत्र आए।”

इस केस में भी यही हुआ। नवीन कुमार को 2011 में कारण बताओ नोटिस थमाया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कार्रवाई उनकी रिटायरमेंट के बाद शुरू हुई, जो कि नियमों के खिलाफ है।

एसबीआई को मिली अदालत की सख्त हिदायत

एसबीआई (SBI) ने अपने वकील के जरिए अदालत में दावा किया कि नवीन कुमार की रिटायरमेंट की तारीख 2012 होनी चाहिए थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस तर्क को खारिज कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि नवीन कुमार 2010 में अपनी सेवा पूरी कर चुके थे।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को आदेश दिया कि वह नवीन कुमार की बकाया राशि (Pending Amount) छह हफ्तों के अंदर जारी करे। कोर्ट ने एसबीआई से यह भी कहा कि “ऐसे मामलों में कर्मचारियों के साथ न्याय करना बेहद जरूरी है। वरना कर्मचारी कहेंगे, ‘मेहनत हमने की और सुकून भी छीन लिया गया।’”

सरकारी बाबुओं के लिए खुशी की लहर

इस फैसले के बाद सरकारी कर्मचारियों (Government Employees News) में खुशी की लहर दौड़ गई है। अब वह बिना किसी डर के रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन का आनंद ले सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तय नियमों का पालन करना जरूरी है।

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